अभी हाल ही में, इंडिया ने आतंकवादियों के खिलाफ बॉर्डर पार एक बड़ी कार्रवाई की, जिसका नाम “ऑपरेशन सिंदूर” रखा गया। इस ऑपरेशन के बाद से ही अपने देश में और बाहर भी लोग ये सोच रहे हैं कि क्या ये इंडिया की आतंकवाद से लड़ने की पुरानी नीति से अलग है? क्या अब इंडिया आतंकवादियों से निपटने का कोई नया तरीका अपनाने जा रहा है? आइए, इस बात को आसान भाषा में समझते हैं।
इंडिया का पहले का तरीका: सोच-समझकर कदम और जवाबी कार्रवाई
अगर हम पहले देखें कि इंडिया आतंकवाद से कैसे लड़ता था, तो ज़्यादातर यही देखने को मिलता था कि इंडिया बहुत सोच-समझकर कदम उठाता था। जब भी आतंकवाद का हमला होता था, तो इंडिया कोशिश करता था कि बात ज़्यादा न बढ़े और इलाकाई सुरक्षा बनी रहे। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इंडिया चाहता था कि उसकी पहचान एक ज़िम्मेदार देश की बनी रहे। पहले की नीति में ये बातें खास थीं:
देश में सुरक्षा बढ़ाना: जब भी आतंकवादी हमला होता था, तो इंडिया अपने देश के अंदर सुरक्षा और कड़ी कर देता था। खुफिया विभाग और ज़्यादा जानकारी जुटाता था और हमले के बाद तुरंत कार्रवाई करता था।
बातचीत से दबाव बनाना: इंडिया हमेशा पाकिस्तान पर ये आरोप लगाता था कि वो आतंकवादियों को मदद करता है। इंडिया ने इस मुद्दे को दुनिया के सामने भी रखा, ताकि पाकिस्तान पर दबाव बनाया जा सके।
बॉर्डर पर जवाब देना: अगर बॉर्डर पर गोलीबारी होती थी या आतंकवादी घुसने की कोशिश करते थे, तो इंडियन आर्मी उसका करारा जवाब देती थी। लेकिन, बड़ी और प्लान करके सैन्य कार्रवाई करने से अक्सर बचा जाता था।
लेकिन, कई लोगों को ये तरीका पसंद नहीं आता था। उनका कहना था कि इस तरीके से पाकिस्तान के आतंकवादियों और उनको मदद करने वालों पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता, और इंडिया को लगातार आतंकवादी हमलों का सामना करना पड़ता है।
ऑपरेशन सिंदूर: क्या बदला है?
ऑपरेशन सिंदूर में कुछ ऐसी बातें दिखीं जो पहले के तरीकों से अलग थीं:
बॉर्डर पार जाकर कार्रवाई: इस बार इंडिया ने कंट्रोल रेखा और शायद इंटरनेशनल बॉर्डर भी पार करके आतंकवादियों के ठिकानों पर हमला किया। ऐसा पहले बहुत कम देखने को मिला था।
प्लानिंग और तुरंत एक्शन: ये कार्रवाई देखकर लगता है कि इसकी पूरी प्लानिंग की गई थी और तुरंत एक्शन लिया गया, ताकि आतंकवादियों के अड्डे कमज़ोर हो सकें।
खुलेआम कहना: इंडिया की सरकार ने इस ऑपरेशन के बारे में खुलकर बात की है। पहले ऐसी कार्रवाइयों के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं दी जाती थी। इस बार खुलकर कहने का मतलब है कि इंडिया अब बॉर्डर पार आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा।
सबकी मिलकर कार्रवाई: खबरों के मुताबिक, इस ऑपरेशन में आर्मी, एयरफोर्स और नेवी ने मिलकर काम किया, जिससे ये एक बड़ी और गंभीर सैन्य कार्रवाई लगती है।
क्या अब यही तरीका रहेगा?
ऑपरेशन सिंदूर एक बड़ा कदम ज़रूर है, लेकिन क्या इंडिया हमेशा ऐसे ही कार्रवाई करेगा, ये कहना अभी मुश्किल है। हमें कुछ बातों पर ध्यान देना होगा:
एक खास जवाब: सरकार ने कहा है कि ये हाल ही के आतंकवादी हमले का एक सोच-समझकर दिया गया जवाब था, ताकि बात ज़्यादा न बढ़े। हो सकता है कि ये सिर्फ एक खास मौके पर की गई कार्रवाई हो, न कि हमेशा के लिए नीति बदल गई हो।
लड़ाई बढ़ने का खतरा: बॉर्डर पार सैन्य कार्रवाई करने से पाकिस्तान के साथ लड़ाई बढ़ने का खतरा हमेशा रहता है। इंडिया को आगे ऐसे कदम उठाने से पहले इसके नतीजों के बारे में बहुत ध्यान से सोचना होगा।
दुनिया क्या कहती है: दुनिया के दूसरे देश इस कार्रवाई पर क्या सोचते हैं, ये भी बहुत मायने रखता है। अगर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इंडिया की आलोचना होती है, तो आगे ऐसे कदम उठाना मुश्किल हो सकता है।
कितना असर होगा: इस ऑपरेशन से आतंकवादियों के अड्डे कितने कमज़ोर होते हैं और आगे आतंकवादी हमले कितने रुकते हैं, ये देखना होगा। सिर्फ सैन्य कार्रवाई से ही आतंकवाद खत्म नहीं हो सकता।
आगे क्या हो सकता है?
अगर ऑपरेशन सिंदूर इंडिया की आतंकवाद से लड़ने की नीति में एक नया मोड़ है, तो आगे ये बातें देखने को मिल सकती हैं:
और भी सैन्य कार्रवाई: इंडिया भविष्य में भी बड़े आतंकवादी हमलों के जवाब में बॉर्डर पार सैन्य कार्रवाई कर सकता है।
इंडिया-पाकिस्तान के रिश्तों में बदलाव: इससे इंडिया और पाकिस्तान के रिश्तों में और भी कड़वाहट आ सकती है।
राष्ट्रीय सुरक्षा की नीति में बदलाव: इंडिया अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा की नीति में कुछ बदलाव कर सकता है, जिसमें बॉर्डर पार जाकर आतंकवादियों पर हमला करना भी शामिल हो सकता है।
दुनिया की नज़रों में इंडिया: इंडिया की आतंकवाद से लड़ने की कार्रवाइयों पर दुनिया के दूसरे देशों की नज़र और भी तेज़ हो जाएगी।